मौनी अमावस्या 2025 में कब है? विस्तार से जानिए तिथि, महत्व और कारण

मौनी अमावस्या 2025 में कब है? और क्यों मनाई जाती है: मौनी अमावस्या, हिंदू धर्म में एक पवित्र तिथि है, जिसे मौन रहने और आत्मचिंतन के लिए मनाया जाता है। इस दिन का विशेष महत्व है क्योंकि यह आध्यात्मिक साधना और गंगा स्नान के लिए समर्पित है। इस लेख में हम मौनी अमावस्या की तिथि, महत्त्व, कारण, और इससे जुड़े रीति-रिवाजों पर विस्तार से चर्चा करेंगे।

मौनी अमावस्या 2025 Latest News Today
मौनी अमावस्या 2025 Latest News Today

मौनी अमावस्या 2025 में कब है?

मौनी अमावस्या 2025 में 29 जनवरी, बुधवार को है।

मौनी अमावस्या का समय (2025)

  • अमावस्या तिथि प्रारंभ: 28 जनवरी 2025, रात 09:45 बजे
  • अमावस्या तिथि समाप्त: 29 जनवरी 2025, रात 11:10 बजे

मौनी अमावस्या क्यों मनाई जाती है?

मौनी अमावस्या का शाब्दिक अर्थ है “मौन रहने की अमावस्या।” इस दिन मौन रहकर आत्मचिंतन करना और आध्यात्मिक साधना करना शुभ माना जाता है। इसे पवित्र नदियों, विशेषकर गंगा में स्नान करने और दान-पुण्य के लिए भी महत्वपूर्ण माना जाता है।

धार्मिक मान्यता

  1. सृष्टि का आरंभ: पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस दिन ब्रह्मा जी ने सृष्टि का सृजन आरंभ किया था।
  2. गंगा स्नान का महत्व: ऐसा माना जाता है कि मौनी अमावस्या के दिन गंगा स्नान से पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
  3. मौन रहने की परंपरा: मौन रहने से आत्मिक शांति और ध्यान की गहराई बढ़ती है।

मौनी अमावस्या के अनुष्ठान और रीति-रिवाज

अनुष्ठानविवरण
गंगा स्नानमौनी अमावस्या के दिन गंगा स्नान करना सबसे महत्वपूर्ण है। इसे पवित्रता और मोक्ष प्राप्ति का मार्ग माना जाता है।
मौन व्रतइस दिन मौन व्रत रखने से मानसिक शांति मिलती है और मनोबल बढ़ता है।
दान-पुण्यइस दिन अन्न, वस्त्र, और धन का दान करना शुभ माना जाता है।
पितरों की पूजापितरों की आत्मा की शांति के लिए इस दिन विशेष पूजा-अर्चना की जाती है।
आध्यात्मिक साधनायोग, ध्यान और भगवद्गीता का पाठ इस दिन किया जाता है।

मौनी अमावस्या का आध्यात्मिक महत्त्व

  1. आत्मसंयम का अभ्यास: इस दिन मौन रहकर मन और वाणी पर संयम रखने का अभ्यास किया जाता है।
  2. पापों से मुक्ति: गंगा स्नान और दान-पुण्य करने से जीवन के पाप समाप्त हो जाते हैं।
  3. ध्यान और साधना का समय: मौन रहने से आत्मचिंतन और ध्यान की गहराई में प्रवेश करने का अवसर मिलता है।
  4. पारिवारिक सौहार्द: इस दिन परिवार के साथ पूजा और दान करने से संबंध मजबूत होते हैं।

FAQ (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)

प्रश्न 1: मौनी अमावस्या का गंगा स्नान क्यों महत्वपूर्ण है?

गंगा स्नान को पवित्रता और मोक्ष का प्रतीक माना जाता है। यह पापों का नाश करता है और आत्मा को शुद्ध करता है।

प्रश्न 2: क्या इस दिन मौन व्रत रखना अनिवार्य है?

मौन व्रत अनिवार्य नहीं है, लेकिन इसे रखने से मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति मिलती है।

प्रश्न 3: मौनी अमावस्या पर कौन-कौन से दान किए जा सकते हैं?

इस दिन अन्न, वस्त्र, धन, और तिल का दान करना शुभ माना जाता है।

प्रश्न 4: क्या मौनी अमावस्या पर पितरों की पूजा जरूरी है?

पितरों की आत्मा की शांति के लिए इस दिन पूजा करना शुभ होता है। इससे पितरों का आशीर्वाद मिलता है।

निष्कर्ष

मौनी अमावस्या आत्मिक शांति और पुण्य लाभ का पर्व है। यह दिन हमें मौन रहकर आत्मचिंतन और दान-पुण्य के महत्व को समझने का अवसर प्रदान करता है। गंगा स्नान, मौन व्रत, और दान-पुण्य इस पर्व को और भी पवित्र बनाते हैं। अतः, इस मौनी अमावस्या पर अपने जीवन को आध्यात्मिक रूप से समृद्ध बनाने का प्रयास करें।

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now
Instagram Group Join Now

Leave a Comment